Kavita Jha

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मंदिर का रहस्य लेखनी कहानी -12-Dec-2021

मंदिर का रहस्य..भाग-5

बस स्टैंड पर खड़ी कृतिका और अनन्या मंदिर के रहस्य का पर्दाफ़ाश करने की योजना बना रही थी। यह वही कृतिका थी जिसमें मंदिर के नाम पर ही श्रद्धा भाव उमड़ आते। पर आज उसे अपनी सहेली अनन्या की बात सच्ची लग रही थी। अनन्या ने समझाया देख यार मैं जानती हूँ तुझे मंदिर और देवी देवताओं पर बहुत विश्वास है लेकिन दुनिया में सभी अच्छे नहीं है कुछ लोग धर्म और धार्मिक स्थानों का गलत उपयोग भी करते हैं। देख मुझे तो पहले से ही शक था, वहाँ मंदिर के आस-पास नशेड़ी बाबाओं को देखकर।
दोनों ने सोचा बस से अच्छा पैदल ही चलते हैं। रास्ते भर बाते करते जल्द ही वो मंदिर के पीछे खड़े थे, मंदिर के द्बार पर अभी भी पुलिस की गाड़ी खड़ी थी और कुछ पुलिसकर्मी गस्त कर रहे थे।
अनन्या का ध्यान मंदिर की बनावट पर गया, ये आम मंदिर की तरह नहीं था। कुछ तो बहुत अजीब था। मंदिर नाले के पास ही बना था। आसपास की कई काॅलोनी का गन्दा पानी इसी नाले से निकलता था, बहुत तेज स्मैल से दोनों का साँस लेना मुश्किल हो रहा था। अपने नाक मुँह को रुमाल से ढके हुए दोनों ने ध्यान दिया कि मंदिर के पीछे कोई दरवाजा तो नहीं है लेकिन कुछ दूरी पर नाले के साथ साथ एक पतली सी गली है जहाँ से मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है। दोनों उस गली की तरफ बढ़ने लगे, वहाँ पास में सब्जी मंडी थी। एक सब्जी वाला जो वहीं गली के मोड़ पर बैठा था, बड़ा ही अजीब सा लगा, वो ईधर उधर देख रहा था, जैसे वो निगरानी कर रहा था आने जाने वालों पर।
कृतिका और अनन्या बड़े ही हिम्मत से आगे बढ़ तो रही थी, पर मन डर रहा था। कृतिका आस पास सब्जी वाली से कभी किसी सब्जी का रेट पूछती तो कभी उनकी बातें ध्यान से सुनती। एक सब्जी वाली दूसरी से कह रही थी मैं तो जानती थी उसका खेल ज्यादा दिन ना चलने वाला। कब तक बचेगा ऊ..  कितना बच्ची सब को अपनी हवस का शिकार बनाया और नशा का कारोबार सब भंडा फूटेगा जरूर उसका।
दूसरी कहती मेरी नन्द को भी अपने चंगुल में फसाने का पूरा कोशिश में था पर हम तो पहले ही समझ गए उसका घर से निकलना ही बंद करवा दिऐ।
कृतिका और अनन्या ध्यान से सबकी बाते सुन रही थी, सब अपना आक्रोश दिखा रहे थे, वहाँ के सभी ग्रामीण लोग गुस्से में थे। बड़े से शहर में ये ईलाका एक गाँव सा ही था।
अनन्या ने अपनी घड़ी देखते हुए कहा, यार! बस अब पाँच मिनट बाँकी है टयुशन के लिए, चल अभी चलते हैं कल फिर आऐंगे।
दोनों तेज कदमों से वापस लौट रहे थे, गली किनारे बैठा वो सब्जी वाला जो उन दोनों को बड़ी अजीब सी नजरों से देख रहा था, कृतिका को उस पर ही संदेह हो रहा था। हो ना हो ये आदमी जरूर उस समूह से जुड़ा है या ये कुछ खास जानता है।
आज तो कुछ तैयारी की ही नहीं, क्या लिखेंगे टैस्ट में। चल कोई नहीं हम अगर ये मंदिर के रहस्य का पर्दाफ़ाश कर पाऐ तो कई मासूमों की जान बच जाऐगी।

क्रमशः

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कविता झा'काव्या कवि'

#लेखनी

#लेखनी 

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

10-Jan-2022 01:47 AM

बहुत बढ़िया

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Ali Ahmad

27-Dec-2021 07:13 PM

Nicely done

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